Monday, December 6, 2010

कार्य तरक्की पे है

आज जब दुनिया में  हर जगह भारत देश अपनी पहचान बना चूका है . खो जो पे हमारा प्रयत्न यही है की हम अपने देश की मिटटी से जुडे रहे .
नया भारत, छुट्टियों में आज कल विदेश नहीं , उत्तर प्रदेश की वादियों में समय बिताना जादा पसंद करता है . लेकिन क्या इतना काफी है , इनफ़ोसिस के दिरेक्टोर श्री नंदन नील्कानी ने अमेरिकेन करिक्रुम में खूब बात कही, उन्होंने ने भारत देश की आबादी को अपने देश की कमी नहीं देश की शक्ति का नाम दिया है !
अब हमारा कर्त्तव्य भारत देश को दुनिया की छोटी में पहुचना ही नहीं , दुनिया को यह बताना है की हम ऊचाई पे पहुचने वाले सबसे खुश देश हैं, और समय के बदलाव ने हमारी संस्कृति और सभ्यता को अपने साथ बदला नहीं है.
खो जो अभी सिर्फ एक सोच है , जिससे हम लोगों को मिल के आगे बढ़ाना है . यह हमारी एक कोशिश है अपनी मात्र भूमि को कुछ वापस देना का. हमारे देश के अनदेखे लोगों की प्रतिभा को दुनिया के सामने रखना.
अगली बार जब आप कही छुट्टियां मानाने जायें, कोशिश कर के कुछ समय निकालें उन् लोगों के लिए जिनकी प्रतिभा को सरहाया नहीं गया है , जो कुछ फिरंगियों के कैमरे तक ही सीमित रह गयी हैं.
हमारा प्रयत्न सिर्फ नयी प्रतिभा ढूंढना नहीं है , उसको लोगों के सामने लाकर फकर्र करना भी है .
हमारा देश इतना बड़ा और देश वासी इतने गुनी हैं की यह में अकेले नहीं कर पोंगा, हमें मिल कर इस सपने को सच करना है.
बढे चलो !

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